हजारो एकड़ में खड़ी गेहूं मटर की फसलों में लगा सिंचाई विभाग का ग्रहण, फसलें बर्बाद होने की कगार पर।

सरवई क्षेत्र की नहरों में अभी तक नहीं पहुँचा पानी ,
फसलें सूखने की कगार पर , टैंकर से खेत सींचने को मजबूर किसान

सरबई / का वर्षा जब कृषि सुखाने यह कहावत आज सरवाई क्षेत्र के किसानों की मन की पीड़ा को जानकर सही साबित हो रही है। क्षेत्र में नहरों का जाल तो बिछा दिया गया है लेकिन कभी भी किसानों को सही समय से सिचाई हेतु पानी उपलब्ध नहीं हो पता है। वर्तमान समय पर किसानों ने हजारों एकड़ में गेहूं, मटर, चने आदि की बुबाई की है और अब वक्त है पानी देने का लेकिन पानी नहरों में उपलब्ध नहीं है जिसकी वजह से किसानों की फसलें सूखने की कगार पर है। अगर नहरों में पानी नहीं आया तो सैकड़ो किसानों को भारी नुकसान होगा।

टैंकर से सिचाई करने को मजबूर किसान

नहरों में पानी न आने की वजह से ग्राम महुई खुर्द निवासी किसान बच्चा सिंह खंगार ने अपनी गेंहू की फसल सूखने से बचाने के लिए पानी के टैंकर का सहारा लिया है। उसने बताया कि करीब 10 बीघे में गेहूं की बुबाई की थी जिसको समय से पानी नहीं दिया जाएगा तो वह सूख जाएगी। मेरा परिवार इसी खेती पर आधारित है इसीलिये मजबूरी में टैंकर से सिचाई करना पड़ रही है। उसने बताया कि कभी भी नहरों में समय से पानी नहीं मिलता है जिसकी वजह से अपेक्षाकृत उपज नहीं मिल पाती है। वैसे 10 बीघे की सिचाई मैं टैंकर से तो नहीं कर पाऊंगा लेकिन कुछ बीघे ही सही मैं अपनी फसल को बचा लूंगा जिससे मेरे परिवार का भरण पोषण हो सकेगा। रामप्रसाद, दरबारी लाल, शिवनारायण, राधे आदि किसानों ने बताया कि शिवराज सरकार ने विद्युत व्यवस्था के लिए डीपी रखने की पूरानी योजना लागू करने की बात कही थी लेकिन इसे अमल में नहीं लाया जा सका। वर्तमान में डीपी रखने का अत्यधिक खर्च होने से किसान इसका खर्च वहन नहीं कर सकते हैं।

सालों से नहीं हुआ मेंटिनेंस, गति से नहीं पहुँचता पानी

किसानों ने बताया कि नहरों का मेंटिनेंस वर्षो से नहीं किया गया है जिसकी वजह से सैकड़ो जगह नहरों में सीमेंट और कंक्रीट से ढाले गए स्लोप टूट गए हैं और मिट्टी कट कर बीचोबीच आ गई है। जगह जगह उगी खरपतवार भी पानी की रफ्तार को कम कर देती है। यहाँ तक कई जगह देसी जुगाड़ कर टूटी नहर को मिट्टी से बांध दिया गया है। किसानों ने बताया कि मेंटिनेंस के नाम पर हर वर्ष खानापूर्ति की जाती है और बजट को ठिकाने लगा दिया जाता है। एक तो समय से पानी नहीं मिलता दूसरा मिला भी तो अंतिम छोर वाले किसानों को गति से पानी नहीं मिल पाता है।

कुटने डैम के पानी का लेबल बरियारपुर नहर का बराबर हो गया है इसलिए बछोन तक ही पानी पहुँच पा रहा है, यूपी के डेम से पानी लेने की डिमांड की गई है उम्मीद है पानी की उपलब्धता हो जाये। सीबी अहिरवार एसई जलसंसाधन विभाग छतरपुर

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