भोपाल, आईएएनएस। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (MP Vidhan Sabha Election 2023) में अब करीब आठ महीने ही शेष हैं और जल्द ही राज्य में राजनीतिक हलचल तेज होती दिखने वाली है। जहां सत्तारूढ़ भाजपा डबल इंजन सरकार (केंद्र और राज्य) की जनहितकारी योजनाओं को उजागर करते हुए सत्ता पर काबिज होने की कोशिश करेगी, वहीं विपक्षी कांग्रेस एक बार फिर जनभावनाओं को प्रभावित करने की उम्मीद कर रही होगी। इस बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह एक बार फिर एमपी की राजनीति में एंट्री करते दिख सकते हैं।
फरवरी में शुरू होगा राजनीति का मेगा पावर शो
भाजपा और कांग्रेस दोनों अपनी रणनीतियों से मध्य प्रदेश की सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचकर मतदाताओं को रिझाने के लिए फरवरी में अपना पहला मेगा पावर शो शुरू करेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में मध्य प्रदेश कांग्रेस गणतंत्र दिवस से सभी निर्वाचन क्षेत्रों में अपना ‘हाथ से हांथ’ मार्च निकालेगी। इसी तरह भाजपा की प्रदेश इकाई पांच फरवरी से अपनी ‘विकास यात्रा’ शुरू करेगी।
दिग्विजय सिंह की एमपी में होगी वापसी
दो बार मुख्यमंत्री रह चुके दिग्विजय सिंह को लेकर मध्य प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमा जाएगी। दिग्विजय की राज्य की राजनीति पर मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे भी अपने राजनीतिक विरोधियों पर हमला करने का कोई मौका नहीं चूकते हैं। इस महीने के अंत तक कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ अपने गंतव्य स्थल जम्मू-कश्मीर तक पहुंचने के बाद दिगी राजा राज्य में वापसी करेंगे जिसके कांग्रेस अपने अभियान को तेज करेगी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ कांग्रेस का ये है प्लान
राहुल गांधी इस बार मध्य प्रदेश चुनाव पर ध्यान देंगे और दिग्विजय सिंह भी अपना पूरा समय चुनाव में समर्पित करने के लिए स्वतंत्र होंगे। कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार दिग्विजय सिंह के चुनाव प्रचार में शामिल होते ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ तीखा हमला किया जाएगा। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पहले ही अपने पूर्व पार्टी सहयोगी सिंधिया पर हमला करना शुरू कर दिया है।
कमलनाथ का सिंधिया पर निशाना
बता दें कि सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ 2020 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में चले गए थे, जिससे राज्य में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। इसी को लेकर अब कमलनाथ सिंधिया पर हर रोज ताने कस रहे हैं और कह रहे हैं कि सिंधिया ने अपने ग्वालियर से ही “राजनीतिक रूप से बेमानी” की हैं। कमलनाथ ने ये भी कहा कि अब जनता भी समझ चुकी है जवाब दे रही है। उन्होंने कहा कि अगर सिंधिया इतने ही बड़े नेता थे, तो भाजपा उनके गढ़ ग्वालियर और मुरैना की मेयर की सीटें क्यों हारी?