एक ही दुकान से छात्रों की स्कूली सामग्री, यूनीफॉर्म, किताबें आदि लेने नहीं कर सकेंगे अभिभावकों को बाध्य
तत्काल प्रभाव से आदेश लागू, उल्लंघन करने पर होगी कार्यवाही
कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट श्री संदीप जी.आर. ने स्कूल संचालकों एवं प्राचार्यों द्वारा स्कूली बच्चों को उनके द्वारा अधिकृत व बताई जाने वाली दुकान से सामग्री क्रय करने हेतु बाध्य किये जाने के मामले को संज्ञान में लेते हुए दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत आदेश पारित किया है। जिसके तहत स्कूल संचालकों पुस्तक प्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को समाप्त करने हेतु निर्देश जारी किए है। साथ ही स्कूल संचालक प्राचार्य स्कूल में संचालित प्रत्येक कक्षा के लिए अनिवार्य पुस्तकों की सूची विद्यालय के परीक्षा परिणाम के पूर्व ही अपने स्कूल की वेबसाईट पर अपलोड करेंगे एवं विद्यालयीन सार्वजनिक सूचना पटल पर चस्पा करेंगे। मान्यता नियमों के अंतर्गत स्कूल की स्वयं की बेबसाईट होना अनिवार्य होगा। स्कूल के प्राचार्य संचालक पुस्तकों की सूची की एक प्रति प्रवेशित अभिभावकों को प्रवेश के समय एवं परीक्षा परिणाम के समय आवश्यक रूप से उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे। स्कूल संचालक प्राचार्य विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों को सूचीबद्ध पुस्तके परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व क्रय करने हेतु बाध्य नही करेंगे। अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून 2023 तक कम कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में अप्रैल माह में प्रारंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र में प्रथम 30 दिवस की अवधि 1 अप्रैल 2023 से 30 अप्रैल 2023 तक के मध्य का उपयोग विद्यार्थियों के ओरिएंटेशन व्यवहारिक ज्ञान व मनोवैज्ञानिक पद्धति से शिक्षण में किया जायेगा।
छतरपुर शहर के निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा छात्रों एवं पालकों को निर्धारित दुकानों से ही यूनीफार्म, जूते टाई, किताबें, कॉपिया आदि खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है, जबकि मितव्ययी, गुणवत्तापूर्ण एवं सर्वसुलभ शिक्षा व्यवस्था का निर्माण लोक कल्याणकारी प्रशासन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक है। उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्ति, संस्था, आयोजक के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के अंतर्गत कार्यवाही की जाएगी।